Friday, October 5, 2012

जम्‍मू क्षेत्र के स्‍कूली बच्‍चों ने की गृह मंत्री से मुलाकात

40 स्‍कूली बच्‍चों ने की केंद्रीय गृ‍ह मंत्री श्री शिंदे से मुलाकात 
केंद्रीय गृ‍ह मंत्री श्री सुशील कुमार शिंदे स्कूली बच्चों के साथ (छाया:पीआईबी)
जम्‍मू क्षेत्र के दूर-दराज और दूरस्‍थ इलाकों के 40 स्‍कूली बच्‍चों (20 लडकियों और 20 लड़कों) के एक समूह ने केंद्रीय गृ‍ह मंत्री श्री सुशील कुमार शिंदे से आज मुलाकात की। 10-16 साल की आयु वर्ग के यह विद्यार्थी सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) द्वारा आयोजित भारत दर्शन यात्रा पर हैं। इस कार्यक्रम के अतंर्गत विद्यार्थियों को अहमदाबाद, भुज, बंगलौर, मैसूर, आगरा और दिल्‍ली ले जाया गया। बच्‍चों ने इन शहरों के ऐतिहासिक और सांस्‍कृतिक स्‍थानों को भी देखा। 

बीएसएफ के विशेष महानिदेशक श्री अरविंद रंजन ने गृह मंत्री को इन बच्‍चों से मिलवाया तथा यह भी बताया कि सभी बच्‍चे जम्‍मू के दूर दराज इलाकों से हैं। उन्‍होंने कहा कि इस यात्रा से बच्‍चों को अपने देश के बारे में जानकारी बढ़ाने में मदद मिलेगी। बच्‍चों ने भी विभिन्‍न ऐतिहासिक जगहों की यात्रा के अपने अनुभव को बांटा तथा इस तरह का टूर आयोजित करने के लिए बीएसएफ और भारत सरकार को धन्‍यवाद दिया। 

अपने एक नागरिक कार्यक्रम के तहत बीएसएफ जम्‍मू और कश्‍मीर के दूर दराज और सीमा क्षेत्रों के गरीब परिवारों के बच्‍चों के लिए भारत दर्शन यात्रा आयोजित करता है। बीएसएफ द्वारा प्रायोजित 35 भारत दर्शन यात्रा में अब तक जम्‍मू और कश्‍मीर के 1134 बच्‍चों ने भाग लिया है। 

गृह मंत्री श्री सुशील कुमार शिंदे ने बच्‍चों को आशीर्वाद दिया और अपने विचार उनके साथ बांटें। उन्‍होंने बच्‍चों को भारत की विविध संस्‍कृति की खूबसूरती को बांटने तथा देश को एकीकृत तरीके से हर दिन मज़बूत बनाने में मदद करने का सुझाव दिया। (PIB) 
04-अक्टूबर-2012 19:36 IST

मीणा/प्रियंका -4787

Thursday, October 4, 2012

महात्‍मा गांधी की जम्‍मू-कश्‍मीर की ऐतिहासिक यात्रा

   विशेष लेख:संस्‍कृति                                                                       - ओ. पी. शर्मा *  सत्‍य, अहिंसा और नैतिक मू‍ल्‍यों के प्रतिमान महात्‍मा गांधी ने अगस्‍त, 1947 के पहले सप्‍ताह के दौरान सामरिक दृष्टि से संवेदनशील जम्‍मू-कश्‍मीर की चार दिन की ऐतिहासिक यात्रा की, जो बहुत महत्‍वपूर्ण रही । यह कश्‍मीर की उनके जीवन की पहली और थोड़े समय की यात्रा थी, जिसने स्‍वतंत्रता प्राप्ति से कुछ दिन पूर्व की घटनाओं को कुछ निर्णायक मोड़ दिये। उनकी इस यात्रा ने स्‍वतंत्रता प्राप्ति के बाद यहां के लोगों का विश्‍वास और धैर्य बनाए रखने में भी महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई। राष्‍ट्रपिता हमेशा लोगों की भावनाओं को समझने की कोशिश करते थे और अहिंसा तथा सत्‍य के उनके सिद्धांतों और लक्ष्‍य की प्राप्ति के प्रति उनकी ईमानदारी का जिस प्रकार देश के अन्‍य भागों में असर पड़ा, उसी तरह उन्‍होंने जम्‍मू-कश्‍मीर के लोगों का भी दिल जीत लिया था।

  महात्‍मा गांधी की 1 से 4 अगस्‍त, 1947 की यह यात्रा ऐसे समय में हुई, जब देश एक कठिन समय से गुजर रहा था। जम्‍मू-कश्‍मीर तथा देश के लिए यह यात्रा ऐतिहासिक सिद्ध हुई। 1947 में भी इस यात्रा को बहुत महत्‍वपूर्ण माना गया, लेकिन आज भी जम्‍मू-कश्‍मीर के लोगों के लिए इस यात्रा की बहुत संगतता है। गांधी जी का शांति और सौहार्द का संदेश हमेशा समय की कसौटी पर खरा उतरा है और आज के समय के लिए  भी यह बहुत संगत है।

ऐतिहासिक यात्रा भारतीय राष्‍ट्रीय कांग्रेस के नेताओं - गांधी जी, पंडित जवाहर लाल नेहरू, मौलाना आजाद, सरदार पटेल और अन्‍य नेताओं से जम्‍मू-कश्‍मीर में आंदोलन के दौरान लोगों को प्रेरणा और एक नई विचारधारा मिली, की वे राजशाही के स्‍थान पर उत्‍तरदायी और लोकतांत्रिक शासन के बारे में सोचने लगे। कश्‍मीर में संघर्ष का नेतृत्‍व शेख मोहम्‍मद अब्‍दुल्‍ला ने किया, जो शांतिपूर्ण तरीकों के उच्‍च सिद्धांतों और हर कीमत पर हिन्‍दु - मुस्लिम एकता के पैरोकार थे । महात्‍मा गांधी की यात्रा के समय शेख अब्‍दुल्‍ला को जेल में डाल दिया गया था।   गांधी जी एक अगस्‍त, 1947 को जम्‍मू-कश्‍मीर की ग्रीष्‍मकालीन राजधानी श्रीनगर पहुंचे, जहां बेगम अकबर जहां ने उनका हार्दिक और शानदार स्‍वागत किया। वे वहां लोगों की वास्तविक समस्‍याओं को सुलझाने के लिए गए थे, जो अभी भी उन्‍हें परेशान कर रही थीं। इसमें कोई संदेह नहीं कि गांधीवादी सिद्धांतों पर चलते हुए सभी मसलों का हल निकाला जा सकता है और स्‍थायी शांति, तरक्‍की और खुशहाली हासिल की जा सकती है। एक से चार अगस्‍त, 1947 की जम्‍मू-कश्‍मीर की महात्‍मा गांधी की चार दिन की यात्रा हमारे इतिहास का एक गौरवशाली अध्‍याय है।

  राष्‍ट्रपिता महात्‍मा गांधी पिछले 65 वर्षों से भारत के लोगों के बीच नहीं हैं, लेकिन उनके आदर्श अभी भी न केवल देश के लिए, बल्कि समूचे विश्‍व के लिए प्रकाश स्तम्भ की तरह है।  

  महात्‍मा गांधी की जयंती पर हमें नैतिक मूल्‍यों के उच्‍च आदर्शों और सिद्धांतों के प्रति अपने आप को फिर से समर्पित करना चाहिए, ताकि हम जम्‍मू-कश्‍मीर सहित देश को सामाजिक - आर्थिक न्‍याय पर आधारित एक सुदृढ़ धर्मनिरपेक्ष राष्‍ट्र बना सकें। (PIB)

(पत्र सूचना कार्यालय का विशेष लेख) 03-अक्टूबर-2012 14:25 IST
*लेखक एक स्‍वतंत्र पत्रकार हैं नोट : इस लेख में लेखक द्वारा व्‍यक्‍त किये गए विचार उनके अपने हैं और आवश्‍यक नहीं कि वे पत्र सूचना कार्यालय के विचारों से मेल खाएं।

मीणा/राजगोपाल/शौकत-255